नदिया के पार - एक सदाबहार फिल्म | Nadiya Ke Paar - An Evergreen Film
नदिया के पार - यह नाम सुनते ही हमारा मन एक प्यारी सी शांत बहती नदी और नदी के किनारे बसे एक गांव की कल्पना करने लगता है। बस ऐसे ही एक नदी के दोनों किनारों पर बसे दो गांवों की कहानी है नदिया के पार फिल्म में।
नदिया के पार फिल्म राजश्री पिक्चर्स (Rajshri Pictures) द्वारा निर्मित हमारे हिंदी फिल्म जगत की सर्वोत्तम और कालजयी फिल्मों में से एक है। मैं तो यहां तक कहूंगा की यही एक ऐसी फिल्म है जिसे आप कितनी बार भी देखें, मगर दिल नहीं भरता। अगर आपने यह फिल्म अबतक नहीं देखी है तो आपने अपने घर के बड़े बूढ़ों के मुंह से इस फिल्म का नाम तो कम से कम जरूर सुना होगा। यह फिल्म ग्रामीण अंचल में बनी हुई एक ऐसी फिल्म है जो बहुत ही सफल साबित हुई और आज तक सराही जा रही है।
नदिया के पार फिल्म की सफलता | Nadiya Ke Paar Film's Success
नदिया के पार फिल्म 1 जनवरी 1982 को रिलीज हुई थी। वैसे फिल्म का बजट कितना था इसकी तो ठीक से जानकारी नहीं है परंतु इस फिल्म ने उस जमाने में लगभग 5.5 करोड़ रुपए की कमाई की थी। अगर आप इस 5.5 करोड़ की कमाई को आज के परिवेश में देखना चाहे तो आप यह मान सकते हैं कि इस फिल्म ने लगभग ढाई सौ करोड़ की कमाई की होती।
कोहबर की शर्त पर आधारित है कहानी | Story Based On Kohbar Ki Shart
दरअसल नदिया के पार फिल्म केशव प्रसाद मिश्र द्वारा रचित उपन्यास कोहबर की शर्त पर आधारित है। यह कहानी इतनी सुंदर और जीवन से भरी हुई है तभी तो इस पर इतनी सुंदर फिल्म एक नहीं दो-दो बार बनाई गई।
जी हां, 'हम आपके हैं कौन' नदिया के पार फिल्म का ही एक शहरी संस्करण है। अगर आपने दोनों फिल्में देखी हैं तो आप समझ पाएंगे कि नदिया के पार फिल्म की पृष्ठभूमि एक गांव की है और उसके विपरीत बिल्कुल उसी कहानी पर आधारित हम आपके हैं कौन फिल्म की पृष्ठभूमि शहर है। लेकिन कहानियां एकदम एक जैसी। साधारण शब्दों में हम आपके हैं कौन, नदिया के पार का ही रीमेक है।
राजश्री प्रोडक्शन अपनी बेहतरीन और पारिवारिक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। इनकी शायद ही कोई ऐसी फिल्म होगी जिसे हम परिवार के साथ बैठकर नहीं देख सकते।
क्या नदिया के पार भोजपुरी फिल्म है ? | Is Nadiya Ke Paar A Bhojpuri Film ?
दरअसल नदिया के पार फिल्म भोजपुरी फिल्म नहीं है। यह एक अवधी भाषा की फिल्म है। आपने फिल्म में कलाकारों के संवाद सुने ही होंगे और इससे आपको अंदाजा लग ही गया होगा कि अवधी कितनी प्यारी भाषा है।
नदिया के पार फिल्म की शूटिंग कहाँ हुई ? | Nadiya Ke Paar Shooting Location ?
क्योंकि नदिया के पार फिल्म उत्तर भारत में बसे दो गाँवों की कहानी है और क्योंकि इस फिल्म को एकदम जीवंत भाव देने के लिए वैसे ही एक आदर्श लोकेशन मैं शूटिंग करने की आवश्यकता थी तो अब ऐसे में उत्तर प्रदेश से बढ़िया लोकेशन और क्या हो सकती थी? इसलिए फिल्म को शूट करने के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के हिस्से को चुना गया। नदिया के पार फिल्म की 90% शूटिंग जौनपुर के केराकत नगर पंचायत के विजयपुर और राजेपुर नामक गांवों में हुई। ये दोनों गांव सई नदी और गोमती नदी के किनारों पर बसे हैं। फिल्म में जिस नदी की बात की जाती है वह यही दो नदियां है। इसी स्थान पर सई नदी और गोमती नदी आपस में मिल जाती हैं।
नदिया के पार फिल्म की कहानी | Story of Nadiya Ke Paar Picture
फिल्म की कहानी जहां तो एक तरफ बहुत ही साधारण है वहीं दूसरी तरफ बहुत ही अद्भुत दी प्रतीत होती है। फिल्म के मुख्य पात्र चंदन और गुंजा है।
चंदन अपने भाई तथा काका के साथ बलिहार नमक गांव में रहते हैं। उनके पिताजी की तबीयत अक्सर ठीक नहीं रहती थी। अपने काका के लिए दवाई लेने के लिए चंदन अपने भाई के साथ नदी के पार चौबेपुर नामक गांव वैद्य जी से मिलने जाते हैं। वहीं पर चंदन तथा उनके भाई की मुलाकात वैद्य जी की बेटियों - गुंजा और उनकी बड़ी बहन से होती है। धीरे-धीरे आना जाना बढ़ता है और दोनों परिवारों में अच्छी जान पहचान हो जाती है। फिर एक दिन बाद वैद्य जी अपनी बड़ी बेटी का रिश्ता चंदन के बड़े भाई के लिए लेकर उनके काका के पास आते हैं और दोनों का विवाह हो जाता है। उनके विवाह के कुछ महीनों बाद गुंजा भी बलिहार यानी कि चंदन के गांव उनके घर रहने के लिए आती है। बस वही से चंदन और गुंजा की प्रेम कहानी शुरू होती है। कुछ सालों बाद चंदन की भाभी यानी कि गुंजा की बड़ी बहन का देहांत हो जाता है जिसके बाद चंदन के बड़े भाई का विवाह गुंजा से करने की बात होने लगती है। यह बात सुनकर चंदन सहम तो जाता है मगर अपने भाई की खुशी के लिए इस बात से इंकार नहीं करता। बारात वाले दिन चंदन के बड़े भैया को पता चलता है कि गुंजा दरअसल चंदन से प्रेम करती है और वे गुंजा का विवाह चंदन से करवा देते हैं।
वैसे तो फिल्म में चंदन का विवाह गुंजा से हो जाता है मगर कोहबर की शर्त उपन्यास में कहानी यहां से अलग हो जाती है, यानी कि गुंजा का विवाह चंदन से ना होकर उनके बड़े भाई से ही होता है और इस प्रकार उपन्यास में कहानी का अंत कुछ अलग, एकदम चौका देने वाला और बहुत ही मार्मिक है। अब यह अंत क्या है यह जानने के लिए तो आपको कोहबर की शर्त को खुद ही पढ़ कर देखना पड़ेगा।
नदिया के पार फिल्म के गीत और संगीत | Nadiya Ke Paar Film Songs & Music
नदिया के पार फिल्म के सभी गाने अवधी हिंदी और भोजपुरी के शब्दों से प्रभावित हैं और इसीलिए गानों में एक अलग ही गाँव-देहात के लोकगीतों वाला भाव आ जाता हैं। और उसपर भी अगर रविंद्र जैन जैसे दिग्गज संगीतकार का हाथ इन गानों पर न पड़ा होता तो शायद ये गाने इतने कर्णप्रिय, मधुर और कालजयी न बन पाते। सचमुच रविंद्र जैन जी को सरस्वती माँ का आशीर्वाद प्राप्त रहा होगा जो उन्होंने नदिया के पार फिल्म के सभी गानों को हेमलता जी और जसपाल सिंह जी की आवाज़ के साथ एकदम सदाबहार बना दिया है।
नदिया के पार फिल्म के कलाकारों के नाम | Nadiya Ke Paar Cast
नदिया के पार फिल्म के कलाकारों के नाम
नदिया के पार फिल्म के गाने
Nadiya Ke Paar Picture Songs | नदिया के पार फिल्म के गाने
नदिया के पार फिल्म से जुड़ी रोचक बातें | Unknown Facts About Film Nadiya Ke Paar
आइये नदिया के पार फिल्म से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जान लेते हैं।
1. केराकत नामक गांव यानी जहां नदिया के पार फिल्म की शूटिंग हुई थी वहां के स्थानीय निवासी बताते हैं कि फिल्म की शूटिंग लगभग डेढ़ दो महीने तक चली। फिल्म की पूरी टीम उस गांव में ही लगभग डेढ़ दो महीने तक रहे।
2. फिल्म की पूरी टीम का गांव के लोगो के साथ बहुत ही गहरा रिश्ता बन गया था।
3. गांव के स्थानीय निवासी बताते हैं की राजश्री प्रोडक्शंस के मालिक ताराचंद बड़जात्या ने गाँव के लोगो को उस दौर में फिल्म की शूटिंग करने के लिए ८ लाख रुपये भी देने की पेशकश की थी मगर क्योंकि फिल्म के यूनिट मैनेजर रामजनक सिंह उसी गाँव के निवासी थे और उन्हें अपनी ही फिल्म कंपनी के मालिक से अपने ही गाँव में शूटिंग करने के लिये पैसे लेने का दिल नहीं था इसीलिए उन्होंने फिल्म बनाने के लिए उनके गाँव की लोकेशन का इस्तेमाल करने के लिए एक भी रूपया नहीं लिया था।
4. गाँव वाले कहते हैं की फिल्म की पूरी शूटिंग के दौरान वहाँ पर हमेशा पुलिस तैनात रहती थी क्योंकि कभी कभी शूटिंग देखने आयी भीड़ बेकाबू हो जाती थी और उन्हें कण्ट्रोल करने का काम केवल पुलिस ही कर सकती थी।
5. फिल्म के होली वाले गीत जोगी जी धीरे धीरे के लिए कई बोरियां भर भर के रंग और गुलाल मंगाए गए थे और गाने में दिख रहे ज़्यादातर लोग वही के ग्रामीण ही थे।
6. नदिया के पार फिल्म में भाषा अवधी और भोजपुरी है, नायक सचिन मराठी हैं और गायक जसपाल सिंह जी पंजाबी हैं। सचमुच ये हैं अनेकता में एकता का जीवंत उदाहरण।
7. जसपाल जी के पंजाबी होने के बाद भी उनकी की आवाज़ में साँची कहें तोरे आवन से हमरे और कौन दिसा में लेके चला रे बटोहिया जैसे देहाती गाने सुनने पर ऐसा लगता है जैसे कोई अवधी या भोजपुरी गवैय्या ही गा रहा हो।
8. ऐसा कहा जाता है की जब फिल्म की शूटिंग ख़तम हो गयी थी और फिल्म की टीम गाँव छोड़ कर जा रही थी तो जाते हुए पुरे गाँव के लोग ही नहीं बल्कि फिल्म का पूरा स्टाफ - पूरी की पूरी फिल्म की टीम के लोग - गाँव के लोगो से बिछड़ने के दुःख में फूट फूट के रोये।
उम्मीद हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा। अंत में हम बस इतना ही कहना चाहेंगे की नदिया के पार फिल्म को बने आज लगभग ४० साल होने को हैं मगर यह फिल्म आज भी चाहे जितनी बार भी देखि जाए दिल नहीं भरता।
दरसल फिल्म देखने पर ऐसा लगता ही नहीं की कोई शूटिंग हो रही हैं और कोई एक्टिंग कर रहा है। ऐसा लगता हैं मानो गाँव के लोग अपनी ज़िन्दगी जी रहे हैं और बस किसी ने बिना बताये उनकी ज़िन्दगी को कैमेरा में रिकॉर्ड कर लिया है।
सबसे अच्छी बात ये है की नदिया के पार फिल्म अब भी अक्सर Zee Bollywood चैनल पर आती रहती है , या फिर यदि आप चाहें तो इसे यूट्यूब (YouTube) पर भी देख कर आनंद उठा सकते हैं।
प्रश्न उत्तर | FAQ
प्रश्न : नदिया के पार फिल्म कब रिलीज़ हुई थी ?
उत्तर : नदिया के पार फिल्म 1 जनवरी 1982 को रिलीज़ हुई थी.
प्रश्न : नदिया के पार फिल्म की शूटिंग कहाँ हुई थी ?
उत्तर : नदिया के पार फिल्म की शूटिंग जौनपुर के केराकत नगर पंचायत के विजयपुर और राजेपुर नामक गांवों में हुई
प्रश्न : नदिया के पार फिल्म में कौन सी नदी है ?
उत्तर : नदिया के पार फिल्म में जो नदियां हैं उनके नाम हैं साई नदी और गोमती नदी।
और पढ़ें : फिल्म नदिया के पार के बारे में
और पढ़ें : फिल्म नदिया के पार के गायक जसपाल सिंह जी के बारे में - गायक जसपाल सिंह - परिचय | Singer Jaspal Singh - Short Biography
(image source : google)
नदिया के पार जैसी फिल्में | Nadiya Ke Paar Jaisi Filmein
पिया के गांव
पिया के गांव सन 1985 रिलीज हुई एक बहुत ही सुंदर भोजपुरी फिल्म थी जिसे दिलीप बोस ने निर्देशित किया था। फिल्म के कुछ मुख्य कलाकारों में मेरा माधुरी तथा अरुणा ईरानी शामिल थे। पिया के गांव फिल्म आपको नदिया के पार की तरह है गांव की पृष्ठभूमि से जोड़े रखती है। फिल्म के ज्यादातर गाने अलका याग्निक ने गाए हैं। और फिल्म का एक बहुत ही खूबसूरत गीत जुग जुग जियासु ललनवा बहुत ही प्रसिद्ध हुआ था और सोहर के रूप में आज भी जब कहीं किसी बच्चे का जन्म होता है तो इस गीत को गाया जाता है।
तुलसी
तुलसी सन 1985 में रिलीज हुई एक पुरानी फिल्म है जिसमें नदिया के पार के ही कई किरदार हैं जैसे सचिन, साधना सिंह, इंदर ठाकुर और राम मोहन जी। यह फिल्म एक प्रेम कहानी पर आधारित है। जवाबी फिल्म देख रहे होंगे तो आप नदिया के पार के किरदारों को एक अलग ही रूप में इस फिल्म में पाएंगे और इसलिए आप यह फिल्म देखने में और चाव महसूस करेंगे।
पिया मिलन
दरअसल नदिया के पार फिल्म की अपार सफलता के बाद साधना सिंह तथा सचिन की जोड़ी इतनी ज्यादा प्रसिद्ध हो गई थी कि हर कोई ने अपनी फिल्मों में ले लेना चाहता था। इन दोनों की ही या जोड़ी भी हमें इस पिया मिलन नामक फिल्म में देखने को मिलती है। या फिर भी नदिया के पार की तरह ही गांव की पृष्ठभूमि पर आधारित है। वैसे आपको बता दें कि ज्यादातर लोगों ने पिया मिलन फिल्म को नदिया के पार की अपार सफलता के बाद जब देखा तो है इस सचिन और साधना की जोड़ी से और भी प्रभावित हो गए।
गंगा किनारे मोरा गांव
गंगा किनारे मोरा गांव सन उन्नीस सौ 84 में रिलीज हुई थी तथा यह दिलीप घोष द्वारा निर्देशित फिल्म है। गंगा किनारे मोरा गांव फिल्म के कुछ मुख्य कलाकार है: गौरी खुराना, अरुणा ईरानी, कुणाल आदित्य तथा फरहा नाजी। यह एक मन को झकझोर देने वाली तथा बहुत ही भावुक कर देने वाली फिल्म है। यदि आप यूट्यूब पर इस फिल्म के कमेंट पढ़ेंगे तो आप पाएंगे कि सब लोगों ने इस फिल्म की कहानी की बहुत ही ज्यादा तारीफ की है। और ज्यादातर दर्शक जब इस लिंक को यूट्यूब पर देखते हैं तो इससे उनकी बचपन की यादें ताजा हो जाती है।
3 Comments
अद्भुत रचना मन गद गद हो गया
ReplyDeleteआपने पूरा लेख पढ़ा, इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार।
DeleteNadiya paar best movie favourite
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