दीपावली की बचपन की यादें | Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein

दीपावली की बचपन की यादें | Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein

दिवाली की बचपन की यादें 

बचपन में जब दशहरा की छुट्टियां पड़ने ही वाली होती थी उसके पहले ही हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता था। हम मन ही मन पटाखों में नए कपड़े और मिठाइयों के बारे में सोच सोच कर बहुत खुश होने लगते थे।

दिवाली की बचपन की यादें

 
आईये आज हम दीपावली से जुड़ी अपनी कुछ बचपन की यादों को ताजा करें : 

जबरदस्ती घर की सफाई में हाथ बटाना 

दिवाली ही एक ऐसा त्यौहार हैं जिसमें घर के एक एक कोने की जम कर सफाई होती है और न चाहते हुए भी बचपन में ज़बरदस्ती हमको इस मेहनत के काम में हाथ बटाना पड़ता था . 


मिठाई बनवाने में माँ का हाथ बटाना 

चाहे दिवाली में घर की कितनी भी सफाई करनी पड़े लेकिन उसके बाद घर में गुजिया बनते हुए देख कर दिल एकदम खुश हो जाता था .

घर को सजाना 

दिवाली आने से पहले ही घर को सजाने के लिए लाइट खरीदना हो, दीपक, मोमबत्ती या फिर झालर, बस मज़ा ही आ जाता था बाजार में .


अलग अलग तरीके से पटाखे जलाना

अनार, फुलझड़ी और चकरी जलाने के अलावा हम बचपन में बम को भी अलग -अलग तरीके से  फोड़ते थे। कभी जमीन में गाड़ कर फोड़ते तो कभी प्लास्टिक की बोतल में डाल कर। 

रात होते-होते जब पटाखे खत्म हो जाते थे तो दूसरों के घर जाकर उनके साथ उनके बचे हुए पटाखे उड़ा करते थे।

रिश्तेदारों के घर मिठाई बांटना 

अपने घर की मिठाईयां दूसरों के घर ले जाकर हैप्पी दीपावली कहना तो था दूसरों के घर से आई हुई मिठाइयों को भी बहुत खुशी से खाना सचमुच बहुत अच्छा लगता था।

दीपक में मोम इकठ्ठा करना 

हमें पूरा विश्वास है कि दीपावली के अगले दिन आप सभी ने जले हुए दीपक इकट्ठा किए होंगे। और मैं तो जली हुई मोमबत्तियों के बचे हुए मोम को भी एक बड़े दीपक में इकट्ठा कर लिया करता था, और बाद में उसमें बत्ती लगाकर एक बड़ी मोमबत्ती बनाया करता था।

हम चाहे कितने भी बड़े हो जाएं लेकिन हमारा बचपन हर साल त्योहारों के रूप में यादों में लौट कर आता रहेगा.



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