Kantara Ending Explained Meaning | कांतारा में अंतिम नृत्य का क्या मतलब था
आज जहां देखिये केवल कांतारा फ़िल्म की धूम है। जिसको भी देखिये पहला सवाल एहि पूछता है की कांतारा देखि क्या ?
अगर आपने कांतारा देखि है तोह यकीनन अंत के १५ मिनट में बिलकुल रोमांच से भर गए होंगे और आपके रोंगटे खड़े हो गए होंगे। आईये बात करते हैं कांतारा फिल्म के अंत क।
कांतारा फिल्म के अंत में हम सबने देखा की शिवा के शरीर में देव गुलिगा आ जाते हैं और उस दुष्ट ज़मीदार का संहार कर देते हैं जो की गांव वालो से उनकी ज़मीन छीनना चाहता थ। आपने अगर फिल्म दयँ से देखि होगी तोह आपको पता चलेगा की फिल्म की शुरुआत में पंजुरली देव राजा से कहते हैं की उग्र रूप गुलिगा उनके साथ है और अगर राजा ने गांव वालो को ज़मीन दान देने का वचन तोडा तोह पंजुरली तो उसको माफ़ कर देंगे मगर गुलिगा माफ़ नहीं करेंग।
और अंत में वही होता है - गांव वालो की ज़मीन की रक्षा करने के लिए गुलिगा शिवा के शरीर में आ कर उस ज़मीदार का संहार कर देते हैं।
Kantara Last Dance Meaning | कांतारा में अंतिम नृत्य का क्या मतलब था ?
कांतारा फिल्म के आखिर में हमने देखा की आखिरकर शिवा कोला (देव आराधना) करता है। शिवा कोला नृत्य करते हुए फारेस्ट ऑफिसर को अपने पास बुलाते हैं और उसको उनके पवित्र जंगल और गांव की ज़मीन और गांव के लोगो की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी सौंपते हैं। इस सन को बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही शिवा कोला नृत्य करते हुए गांव के और लोगो का हाथ अपने सीने पर रखते हुए उनके बहुत सुन्दर ढंग से हमेशा एक साथ रहने और एक दुसरे का साथ निभाने को सांकेतिक रूप से कहते हैं।
Kantara Ending Explained in Hindi | कांतारा फिल्म का अंतिम सीन
तभी कोला नृत्य करते हुए शिवा ज़ोर से आवाज़ लगाते हैं , और तभी उन्हें अपनी ज़ोर की पुकार के उत्तर स्वरुप जंगल से वैसे ही आवाज़ वापस सुनाई पड़ती है , यह सुनकर शिवा उस दिशा में अपने चेहरा कर लेते हैं और तभी उन्हें कुछ आभास होता है , शायद वे समझ गए थे की जंगल से उन्हें दुसरे देव पंजुरली पुकार रहे हैं।
और जैसा की हम सबने फिल्म की शुरुआत में देखा था की पंजुरली देव को अपने शरीर में धारण किये हुए देव नर्तक अपने हाथ में मशाल लेकर जंगल की तरफ चलने लगते हैं और जंगल में एक रहस्यमय स्थान पर पहुँच कर अदृश्य हो जाते हैं, ठीक उसी स्थान की ताराफ शिवा अंत में चलने लगते हैं। जब शिवा जंगल में उस स्थान पर पहुँच जाते हैं तब उन्हें वही देव पंजुरली नज़र आते हैं। दोनों देव आपस में एक दुसरे से इस प्रकार मिल कर बहुत खुश हो रहे होते हैं। और अब क्यूंकि शिवा भी देव गुलिगा की सहायता से गांव की रक्षा का कार्य पूरा कर चूका होता है इसलिए अचानक दोनों देव उसी रहस्यमय स्थान से अचानक अदृश्य हो जाते हैं।
सचमुच इससे सुन्दर चित्रण इस कहानी का शायद हो ही नहीं सकता था। याह फिल्म सिनेमा थिएटर में महसूस की जाने वाली फिल्म है तो इसलिए कांतारा फिल्म को एक बार सिनेमा हॉल में अवश्य देख कर ाये।
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